उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी जिले की जिस बेटी ने जिले और प्रदेश का नाम रोशन किया, अब उसके कदम को चार लाख रुपये ने रोक दिया है. हम बात कर रहे हैं जागृति सिंह मौर्य की. अपनी प्रतिभा के दम पर चार मेडल पर निशाना लगाने वाली जागृति को नेशनल स्तर पर खेलने के लिए ओपन एयर गन की जरूरत है, जिसके लिए वह सक्षम नही हैं.
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जागृति सिंह के परिवार की माली हालत ठीक नहीं है. करीब चार लाख की कीमत की यह गन वह खरीदने में सक्षम नहीं हैं, उसने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्, कौशांबी सांसद विनोद सोनकर, स्थानीय विधायक शीतला प्रसाद पटेल से गुहार लगाई गई, लेकिन अब जागृति की उम्मीदें टूटने लगी हैं, क्योंकि कहीं से उसको मदद की आस नहीं दिख रही है.
4 बार गोल्ड जीतने वाली बेटी की गुहार
सिराथू तहसील के धुमाई गांव के जागृति सिंह मौर्या ने रायफल शूटिंग में चार गोल्ड मेडल जीते हैं. इसकी शुरुआत जागृति सिंह ने वर्ष 2016 में गोरखपुर से की थी.
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इसके बाद जागृति सिंह ने पलटकर नहीं देखा. जागृति ने राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली प्रतियोगिताओं में वर्ष 2017, 2018 और वर्ष 2019 में गोल्ड मेडल जीते.
साल 2019 में गोल्ड मेडल जीतने पर सिराथू में जागृति सिंह का भव्य स्वागत हुआ था. विधायक सिराथू शीतला प्रसाद पटेल ने भी आश्वासन दिया था कि बेटी को राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए सारी सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, लेकिन उसका सपना पूरा नहीं हो सका, वह दो साल से ओपन एयर गन के लिए परेशान है, लेकिन उसको एयर गन नहीं मिल पा रही है.
इससे वह अपनी प्रैक्टिस नहीं कर पा रही है. कई बार उसने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, सांसद विनोद सोनकर, तत्कालीन डीएम से गुहार लगाई, लेकिन जागृति सिंहके अरमान पूरे नहीं हो सके. जागृति के पिता शुभनेत्र मौर्य की माली हालत इतनी ठीक नहीं कि वह 4 लाख रुपये कीमत की ओपन एयर गन खरीद सके.
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यही कारण है कि वह सरकारी मदद पाने का प्रयास कर रही है, लेकिन उसकी कोई सुन नहीं रहा है. जागृति सिंह धर्मा देवी इंटर कालेज केन कनवार की छात्रा रह चुकी है. कॉलेज के प्रधानाचार्य रामकिंकर त्रिपाठी ने जागृति की रायफल शूटिंग में काफी मदद की थी. यही कारण था कि छात्रा ने पढ़ाई के दौरान गोल्ड मेडल जीता.
जागृति मुख्यमंत्री से भी सम्मानित हो चुकी है. इसके बावजूद अब राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए उसे तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खेल मंत्रालय से भी कई बार गुहार लगा चुकी है, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है.