इंटरमिटेंट फास्टिंग : वेट लॉस के लिए आजकल कई प्रकार की डाइट्स ट्रेंड में हैं, जिनमें से एक इंटरमिटेंट फास्टिंग है, जो लोगों के बीच काफी लोकप्रिय है। यह डाइट वजन कम करने में मदद कर सकती है, लेकिन इसके साथसाथ स्वास्थ्य को कई नुकसान भी पहुंचा सकती है।

वजन बढ़ने के कारण शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं, और लोग अपने शरीर के आकार को लेकर असहज महसूस करने लगते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कम हो जाता है। इसी कारण अधिकांश लोग तेजी से वजन कम करने की कोशिश करते हैं। इस प्रक्रिया में कई प्रकार की डाइट्स अपनाई जा रही हैं। इनमें से एक लोकप्रिय डाइट इंटरमिटेंट फास्टिंग है, जिसमें कुछ घंटों तक भोजन नहीं किया जाता और फिर कुछ घंटों के लिए खाने का समय रखा जाता है। इस तरह लोग फास्टिंग और खाने का यह चक्र दोहराते हैं। यह डाइट वजन कम करने में काफी प्रभावी मानी जाती है, लेकिन इसके साथ स्वास्थ्य पर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकते हैं।

वजन को नियंत्रित करना बेहद जरूरी है, क्योंकि नहीं तो यह कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इसके अलावा, अगर वजन ज्यादा बढ़ जाए तो दैनिक गतिविधियों को करने में भी कठिनाई हो सकती है, इसलिए वजन को नियंत्रित करना आवश्यक है, लेकिन सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से पहले सही जानकारी हासिल करना महत्वपूर्ण है, और जिन लोगों को स्वास्थ्य से संबंधित समस्याएं, जैसे कि डायबिटीज, हीमोग्लोबिन की कमी, हार्मोनल असंतुलन आदि हैं, उन्हें इससे दूर रहना चाहिए। अब चलिए जानते हैं कि इंटरमिटेंट फास्टिंग के क्या नुकसान हो सकते हैं।

इंटरमिटेंट फास्टिंग : थकान और कमजोरी महसूस होना

इंटरमिटेंट फास्टिंग में लोग 8 घंटे का फास्टिंग करते हैं और बाकी के 16 घंटे के दौरान भोजन करते हैं, या फिर कुछ लोग 12 घंटे का फास्टिंग और 12 घंटे खाने का नियम अपनाते हैं। इस कारण से काफी थकान और कमजोरी महसूस हो सकती है, जिससे चक्कर आना और नींद का अनुभव जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

मूड स्विंग और सिरदर्द होना

जब लोग इंटरमिटेंट फास्टिंग करते हैं और लंबे समय तक पेट खाली रखते हैं, तो इससे सिरदर्द हो सकता है और तनाव महसूस होने लगता है, जिससे कार्टिसोल का स्तर बढ़ जाता है। इसके परिणामस्वरूप नींद में रुकावट आ सकती है, जो मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। चिड़चिड़ापन और एंग्जायटी जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर गिर सकते हैं, इसलिए यदि आपको पहले से कोई ऐसी समस्या है, तो इंटरमिटेंट फास्टिंग से बचना बेहतर है।

कब्ज की हो सकती है समस्या

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान जब लंबे समय तक पेट खाली रहता है और फिर आप भोजन करते हैं, तो इससे पाचन में समस्या आ सकती है और कब्ज की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसलिए, इंटरमिटेंट फास्टिंग करते समय यह महत्वपूर्ण है कि आप फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें।

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डिहाइड्रेशन (पानी की कमी हो जाना)

यदि इंटरमिटेंट फास्टिंग करते समय कुछ बातों का ध्यान नहीं रखा जाता है, तो डिहाइड्रेशन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इससे मांसपेशियों में ऐंठन, सिरदर्द और चक्कर आने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इस दौरान कैफीन युक्त पदार्थ जैसे चाय और कॉफी से बचना चाहिए। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के अलावा, नारियल पानी और नींबू पानी जैसे पेय भी लेते रहना चाहिए।

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